फिर से कश्मीर जंनत होगी सुबह कि नई बाहर सजेगी गुलशन के रंग सिंगार रचेगी नई कश्मीर नई तस्वीर होगी सूरज लालिमा लायेगा नये पनसे नीला अंबर नये रंग से खिलेगा चाँद अपनेपन मे मुशकरायेगा सितारे अपने आचलमे लहेरायेगें फिर से कश्मीर जंनत होगी उचे परबत वादिया हरियाली सजा़्येगें उडते जूमते पछीं गुन गुना येगें नदियो का पानी शोर मे…